एक महान सिख गुरु, जो अपने पिता गुरु तेगबहादुर को खोने के बाद मात्र 9 साल की उम्र में, सिखों के दसवें गुरु बने। वो गुरु, जिन्होंने मानवता की गरिमा और अपने धर्म की रक्षा के लिए अपना और अपने पूरे परिवार का बलिदान दे दिया। उनके नेतृत्व में हुए चमकौर साहिब के युद्ध को आखिर कैसे भूल सकते हैं, जब 10 लाख मुगलों पर, मात्र 40 सिख भारी पड़े थे। जिनके 2 साहिबजादों को को जिंदा दीवार में चुनवा दिया गया था, आज उन गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती है। आज इंडियन फिल्म इंडस्ट्री के उस मशहूर एक्टर की बर्थ एनिवर्सरी भी है, जिसकी एक झलक पाने के लिए महिलाएं रात-रात भर उनके घर के बाहर इंतजार करती थीं। और कुछ के प्यार की इंतहा तब हुई, जब कईयों ने उनकी फोटो के साथ शादी कर ली थी। यह कोई और नहीं, 1960 - 70 के दशक के टॉप हीरो राजेश खन्ना हैं, जिनके लिए महिलाएं मर-मिटने को तैयार थीं। A-गुरु तेग बहादुर और माता गुजरी के घर पटना साहिब में पौष शुक्ल सप्तमी संवत 1723 यानी 22 दिसम्बर 1666 को गुरु गोबिंद राय का जन्म हुआ, जो बाद में गुरु गोबिंद सिंह जी कहलाए। एक महान योद्धा, कवि और आध्यात्मिक गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी ने 1699 में बैसाखी के दिन खालसा पंथ की स्थापना की थी। उन्हें सरबंसदानी इसलिए कहा गया, क्योंकि उन्होंने अपने आप और परिवार को केवल अत्याचार के खिलाफ लड़ने के लिए कुर्बान कर दिया। "वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतेह" उन्हीं की देन है।
गुरु गोबिंद सिंह जी कहते थे कि अपना कर्म करते हुए ईश्वर को हमेशा याद रखें, और उनके बताए गए मार्ग पर चलें। आज जब इस श्रद्धेय को हम याद कर रहे हैं, तो खुद से यह सवाल पूछना चाहिए कि क्या हम अपने भगवान के बताए सिद्धांतों पर चल रहे हैं। या फिर हमने भी, भक्ति को सिर्फ कर्मकांड और भाषणों तक सीमित कर दिया है। उन्होंने कहा था कि ''अगर आप केवल अपने भविष्य के बारे में सोचते रहेंगे, तो अपने वर्तमान को भी खो देंगे। और आज, हम फ्यूचर को लेकर इतने चिंतित हैं, कि वर्तमान को जीना भूल गए हैं। हमारे पास वक्त ही नहीं है और रिश्ते बिखर रहे हैं। पैसा कमाने की होड़ या स्वार्थ में, अपने रिश्ते और परिवार तो कहां, हमें अपना आप भी याद नहीं रहता। आज हम, अपनों को ही करुणा और प्रेम के लिए मोहताज कर रहे हैं। प्यार, अपनापन आज सिर्फ सीरीज और मूवीज में ही नजर आता है, रियल लाइफ में नहीं। B- इंडियन फिल्म इंडस्ट्री को हाथी मेरे साथी, अमर प्रेम और जोरू का गुलाम जैसी कई फिल्मों सहित 106 हिट सोलो मूवीज देने वाले राजेश खन्ना का जन्म 29 दिसंबर 1942 में पंजाब के अमृतसर में हुआ था। इनका असली नाम जतिन खन्ना था। उन्होंने 1959 से 1961 तक पुणे के नौरोसजी वाडिया कॉलेज से आर्ट्स में ग्रेजुएशन की। बाद में उन्होंने के.सी. कॉलेज, मुंबई में पढ़ाई की। राजेश खन्ना को उनके पिता के रिश्तेदार ने गोद लिया था, जिनके साथ वो साल 1935 में मुंबई आ गए। बॉलीवुड के अब तक के सबसे सफल और लोकप्रिय अभिनेताओं में से एक राजेश खन्ना ने ''आखिरी खत'' मूवी के साथ डेब्यू किया था, जिन्हें 5 फिल्मफेयर अवॉर्ड के अलावा, साल 2013 में भारत सरकार ने पद्म भूषण से भी सम्मानित किया। फिल्मी करियर के अलावा, साल 1991 में राजेश खन्ना कांग्रेस का भी हिस्सा बने।
उनकी पर्सनल लाइफ की बात की जाए, तो राजेश खन्ना का, एक्ट्रेस और फैशन डिजाइनर अंजू महेंद्रू से 7 साल अफेयर रहा था। लेकिन साल 1973 में उन्होंने डिंपल कपाड़िया के साथ शादी कर ली। उनकी दो बेटियां हैं, जिनका नाम ट्विंकल और रिंकी खन्ना है। बॉलीवुड के फेमस एक्टर अक्षय कुमार, उनकी बड़ी बेटी यानी ट्विंकल खन्ना के पति हैं। 69 साल, की उम्र में 18 जुलाई 2012 को इंडियन फिल्म इंडस्ट्री ने अपने काका उर्फ आरके को खो दिया, लेकिन यह सुपरस्टार अपने प्रशंसकों के लिए, हमेशा एकमात्र सुपरस्टार रहेंगे। गुरु गोबिंद सिंह जी के विचार और उनका पूरा जीवन, शौर्य और वीरता का प्रतीक है, जो हमें आज भी, अपने साहस को समझने के लिए कहता है। कि हम, किसी भी परेशानी को जीतने की हिम्मत रखते हैं। द रेवोल्यूशन- देशभक्त हिंदुस्तानी की ओर से, मैं सिर्फ इतना कहना चाहूंगा कि एक साहसी व्यक्ति ही विश्वास कर पाता है, खुद पर और अपने भगवान पर। विश्वास और साहस की बदौलत जिस तरह अर्जुन ने महाभारत जीत लिया, आइए उसी तरह, अपनी जिंदगी की हर जंग जीतने के लिए आगे बढ़ते हैं।